‘बंगाली डॉक्टर’ नहीं, यह तो ‘लूटेरा’ है

शहडोल। सोहागपुर थानांतर्गत छतवई गांव में यह “बंगाली डॉक्टर” नहीं, बल्कि एक नवजात-विशेषज्ञ मनी लॉन्डरर है!

जिस देश में गरीबों को सरकारी अस्पताल की लाइन में खड़ा होना पड़ता है, वहां यह महाशय अपनी निजी क्लिनिक चलाकर नकदी निकालने पर भी कमीशन वसूल रहे हैं। यह सिर्फ इलाज नहीं, यह तो मेडिकल लूट है, जिसके सामने डाकुओं की दादागिरी भी फीकी पड़ जाए!

‘बंगाली डॉक्टर’ नहीं, यह तो ‘लूटेरा’ है

जरा देखिए तो सही, इस महान ‘चाइल्ड स्पेशलिस्ट’ का कारोबार चलाने का तरीका।

नकदी पर कमीशन, ₹1000 पर ₹20

मानो डॉक्टर साहब इलाज के साथ-साथ गांव में प्राइवेट एटीएम भी खोलकर बैठे हैं। गरीब ग्रामीण इलाज के लिए पैसे निकालें, तो डॉक्टर को कमीशन दो! लगता है भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी अगली मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग छतवई गांव में ही करनी चाहिए।

दवाइयों का ‘चुनौतीपूर्ण’ मेनू

मरीजों को महंगी और अच्छी दवाई या सस्ती दवाई में से चुनने का विकल्प देना—यह तो इलाज नहीं, बल्कि बाज़ार में मोलभाव है! डॉक्टर साहब सीधे कहते हैं, “पैसे कम हैं, तो अपने बच्चे की जान से खिलवाड़ कर लो, और अगर पैसा है, तो मेरे मुनाफे को बढ़ा दो!” नैतिकता तो मानो गंगा जी में बह गई हो।

इंजेक्शन और बोतल का ‘टैक्स’

अगर आप अपनी दवा बाहर से लाते हैं, तो ₹150 इंजेक्शन लगाने का दीजिए। यह तो ऐसा है, जैसे आप अपनी कार में पेट्रोल बाहर से लाएं, और पेट्रोल पंप वाला कहे—”ठीक है, अब हैंडलिंग चार्ज दो!” स्वास्थ्य सेवा के नाम पर यह हफ्ता वसूली है।

प्रशासन की ‘आँख-मिचौली’, मिलीभगत या अँधापन?

सबसे बड़ा तमाशा तो जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कर रहे हैं।

जागरूकता का ढोंग

हर साल प्रशासन अवैध क्लिनिकों पर कार्रवाई के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन छतवई जैसे ग्रामीण इलाके में जब नवजातों की जान से सरेआम खिलवाड़ हो रहा है, तब विभाग के अफ़सर गहरी नींद में हैं। क्या इन्हें वाकई नहीं पता? या फिर इस अवैध ‘कमर्शियल कॉम्प्लेक्स’ की कमाई में किसी का हिस्सा बंधा हुआ है?

फर्जी लाइसेंस की खुली दुकान

एक ‘बंगाली डॉक्टर’ जो ‘चाइल्ड स्पेशलिस्ट’ होने का दावा करता है, वह बिना वैध डिग्री के कैसे इतने समय से काम कर रहा है? ऐसा लगता है कि शहडोल में झोलाछाप डॉक्टरों को इलाज करने का गोल्डन लाइसेंस मिला हुआ है—बशर्ते वे अपना हिस्सा समय पर पहुंचाते रहें।

पहचान, सत्यापन? हास्यास्पद!

सोहागपुर थाने को तो अब इस डॉक्टर की असली पहचान और किरायानामा ढूंढना पड़ेगा। क्या पता यह ‘डॉक्टर’ सिर्फ नाम बदलकर आया हो और पहले कहीं और गरीबों की जेबें साफ करके आया हो।

इस ‘डॉक्टर’ ने मानवता को शर्मसार किया है। अब प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यदि ये फर्जी डॉक्टर कल को किसी मासूम नवजात की जान ले लेता है, तो इसकी जिम्मेदारी केवल इस लुटेरे की नहीं, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता की भी होगी।

लगता है शहडोल के स्वास्थ्य विभाग को अब डॉक्टरों की डिग्री से ज्यादा, उनके बैंक खातों और नकदी निकासी की जाँच करनी पड़ेगी—शायद तभी असली फर्जीवाड़ा सामने आएगा!

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