शहडोल। जिले के जनपद पंचायतों में विकास कार्यों की गति पर मनरेगा उपयंत्रियों की हड़ताल ने गहरा ब्रेक लगा दिया है। पिछले कुछ महीनों से इंजीनियरों की कमी और अब उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते, जनपद पंचायत अंतर्गत ग्रामों में विकास कार्य लगभग ठप पड़े हैं। इस स्थिति ने न केवल निर्माण कार्यों को रोका है, बल्कि पंचायतों की वित्तीय व्यवस्था और कर्मचारियों के मनोबल को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
हड़ताल से मूल्यांकन और भुगतान रुका
उपयंत्रियों की हड़ताल का सबसे सीधा असर विकास कार्यों के मूल्यांकन पर पड़ा है। किए गए कार्यों का समय पर मूल्यांकन न होने से पंचायतों को आगे की भुगतान प्रक्रिया पूरी करने में भारी दिक्कत आ रही है। इसके परिणामस्वरूप, निर्माण कार्यों में सामग्री आपूर्तिकर्ता दुकानदार अपनी बकाया राशि के लिए बार-बार पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी हो रही है। यह गतिरोध नए कार्यों को शुरू करने में भी सबसे बड़ी बाधा बन गया है। मूल्यांकन और भुगतान की प्रक्रिया रुक जाने से आगे के सभी नए कार्य ठप हो गए हैं।
जनपद कार्यालयों में पसरा सन्नाटा, जनप्रतिनिधि उदासीन
जनपद कार्यालय, जो कभी कामकाज और आवाजाही से गुलजार रहते थे, आज सन्नाटे की गिरफ्त में हैं। विकास कार्यों में ठहराव के कारण स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उदासीन दिखाई दे रहे हैं।
फिलहाल, जनपद पंचायतों के ग्रामों में विकास कार्यों की जिम्मेदारी आरईएस उपयंत्रियों को अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंपी गई है। हालाँकि, इन उपयंत्रियों के पास अधिक स्थानों का चार्ज होने के कारण, वे किसी एक ग्राम पंचायत को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं, जिससे कार्यों का निष्पादन और भी धीमा हो गया है।
वेतन न मिलने से कर्मचारी असंतुष्ट
इस बीच, जनपद पंचायतों में कार्यरत कर्मचारियों की स्थिति भी चिंताजनक है। रोजगार सहायकों तीन महीने से और पंचायत सचिवों को पिछले तीन महीनों में से केवल एक महीने का वेतन ही मिला है। पूरे वेतन का भुगतान न होने से कर्मचारियों में भारी नाराजगी है और कई कर्मचारी काम पर आने से भी कतराने लगे हैं, जिससे प्रशासनिक और फील्ड वर्क प्रभावित हो रहा है।
संगठनों का एकजुट समर्थन
मनरेगा उपयंत्रियों की मांगों के प्रति सरपंच संघ, सचिव संघ, रोजगार सहायक संघ सहित अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी अपना खुला समर्थन व्यक्त किया है। सभी संगठनों का मानना है कि उपयंत्रियों के अभाव में पंचायतों के विकास कार्य पूरी तरह से रुक गए हैं।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने शासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनकी प्रमुख मांग है कि उपयंत्रियों की मांगों को शीघ्र सुना जाए और उचित कदम उठाए जाएं ताकि जनता के विकास कार्य बाधित न हों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ सके।










