‘बंगाली डॉक्टर’ पर गंभीर आरोप, ‘रक्षक’ के नाम पर ‘भक्षक’ बनकर नवजातों की जान से खिलवाड़!

शहडोल। जिले के सोहागपुर थानांतर्गत ग्राम पंचायत छतवई में एक कथित बंगाली डॉक्टर की कारगुजारियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि यह कथित डॉक्टर पिछले करीब 15 वर्षों से गांव में अपनी क्लिनिक चला रहा है और खुद को ‘चाइल्ड स्पेशलिस्ट’ बताकर नवजातों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। चिकित्सा जगत में डॉक्टरों को जहां ‘धरती का दूसरा भगवान’ कहा जाता है, वहीं ऐसे कथित झोलाछाप डॉक्टरों पर ‘रक्षक के नाम पर भक्षक’ बनने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।

दवाइयों की ‘सेटिंग’ और अवैध कारोबार का आरोप

सूत्रों के अनुसार, यह कथित डॉक्टर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से सांठगांठ कर महंगी दवाइयां बेच रहा है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला आरोप यह है कि इसके पास उपलब्ध दवाइयों की यदि गहनता से जांच की जाए तो ‘नॉट फॉर सेल’ लिखी हुई  “आजमाने” की दवाइयां भी गरीब और आदिवासी मरीजों को बेचे जाने का खुलासा हो सकता है। यह न केवल आर्थिक शोषण का मामला है, बल्कि सीधे तौर पर मरीजों के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।

प्रशासन पर ‘कुंभकरणीय नींद’ और छिंदवाड़ा जैसी अनहोनी का इंतजार

स्थानीय लोगों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि इस पूरे मामले पर जिले के स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं। गंभीर आरोप यह है कि प्रशासन छिंदवाड़ा जैसी किसी बड़ी घटना के घटने का इंतजार कर रहा है। जब तक किसी मासूम की मौत नहीं हो जाती और प्रशासन की छीछालेदर नहीं होती, तब तक जिले का जिम्मेदार अमला अपनी कुंभकरणीय नींद से नहीं जागेगा।

अक्सर देखा जाता है कि प्रशासन ऐसी खबरों पर चुप्पी साधे रहता है, लेकिन जब घटना घट जाती है तो होश आता है। शहडोल जिले की छवि पहले से ही भ्रष्टाचार सहित अन्य कई मुद्दों को लेकर देश और प्रदेश में सुर्खियां बटोरती रही है, और यह नया मामला इसमें एक और दाग लगाता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे उपमुख्यमंत्री के प्रभार जिले का हाल

मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह जिला प्रदेश के प्रभारी मंत्री के अधीन आता है, जो स्वयं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद पर हैं और उनके पास स्वास्थ्य विभाग का मंत्रालय भी है। यदि स्वास्थ्य विभाग का शीर्ष नेतृत्व संभाल रहे मंत्री के प्रभार जिले में ही स्वास्थ्य व्यवस्था का ऐसा हाल है, तो प्रदेश के अन्य जिलों में क्या स्थिति होगी, यह विचारणीय प्रश्न है।

अब देखने वाली बात यह होगी…

छिंदवाड़ा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना से सीख लेते हुए, जिला स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन अब क्या कदम उठाता है?

  तत्काल कार्रवाई

क्या जिला प्रशासन इस कथित बंगाली डॉक्टर की क्लिनिक पर छापा मारेगा, उसके दस्तावेजों और दवाइयों के स्टॉक की गहन जांच करेगा?

 अनहोनी का इंतजार

या फिर प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार करता रहेगा, जिसके बाद लीपापोती की जाएगी?

 मंत्री का संज्ञान

क्या जिले के प्रभारी मंत्री, जो स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी हैं, इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच और कड़ी कार्रवाई के आदेश देंगे?

जनता की मांग है कि मासूमों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले ऐसे कथित डॉक्टरों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था में विश्वास बहाल हो सके और गरीब आदिवासी तबके को सही इलाज मिल सके।

Leave a Comment

और पढ़ें

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें