शहडोल। जिले में जब से जिला आबकारी अधिकारी के पद पर एक महिला अधिकारी ने कार्यभार संभाला है, तब से आबकारी विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग की सक्रियता में भारी कमी आई है, जिसका सीधा फायदा अवैध शराब कारोबारियों को मिल रहा है। जिले भर की गलियों और मोहल्लों में अवैध अंग्रेजी और देशी शराब की बिक्री खुलेआम हो रही है, और विभाग की ओर से होने वाली दविशों में भी साफ फर्क देखा जा सकता है।
अवैध बिक्री और ठेकेदारों को मुनाफा
सूत्रों के अनुसार, आबकारी अधिकारी के पद संभालने के बाद से अवैध शराब बिक्री और शराब दुकानों पर निर्धारित कीमत से ज्यादा वसूली के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
गलियों-मोहल्लों में अवैध बिक्री
जिले के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अवैध शराब की पैकारी तेजी से पनप रही है। पुलिस द्वारा इक्का-दुक्का कार्रवाई की खबरें आती हैं, लेकिन आबकारी विभाग का अमला इस पर नकेल कसने में नाकाम दिख रहा है।
ओवररेटिंग का खेल
शराब की लाइसेंसी दुकानों पर भी ग्राहकों से प्रिंट रेट से अधिक कीमत वसूली जा रही है। ऐसे आरोप हैं कि ठेकेदारों को मुनाफा पहुंचाने के इरादे से विभाग इस ‘ओवररेटिंग’ के खेल पर आँखें मूंदे हुए है। हालांकि, विभाग ने कुछ समय पहले QR कोड स्कैन की पहल की थी ताकि ग्राहक वास्तविक दर जान सकें, लेकिन जमीन पर इसका असर सीमित दिख रहा है।
राजस्व की आड़ में निजी मुनाफा?
यह सवाल खड़ा होता है कि क्या विभाग सिर्फ राजस्व लक्ष्य को पूरा करने की आड़ में ठेकेदारों के अवैध मुनाफे पर चुप्पी साधे हुए है? इस उदासीनता से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि अवैध शराब से जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो रहा है।
पुलिस की कार्रवाई, आबकारी की चुप्पी
पिछले कुछ समय में अवैध शराब के खिलाफ जो भी बड़ी कार्रवाई हुई है, उनमें ज्यादातर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पुलिस विभाग द्वारा की गई है। यहां तक कि कई बार पड़ोसी जिलों की आबकारी टीमों को भी शहडोल में अवैध गतिविधियों पर छापा मारना पड़ा है, जो जिले के आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।
उच्चाधिकारियों की अनदेखी
जिले के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के स्पष्ट निर्देश के बावजूद, आबकारी विभाग की इस कथित सुस्ती और ठेकेदारों के प्रति मेहरबानी की चर्चाएँ आम हैं। यह स्थिति न केवल विभाग की साख पर बट्टा लगा रही है, बल्कि संवेदनशील कलेक्टर की छवि को भी प्रभावित कर सकती है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है।
आवश्यकता है कड़ी कार्रवाई की
जिले में अवैध शराब कारोबार पर लगाम लगाने और लाइसेंसी दुकानों पर नियम-कायदों का पालन सुनिश्चित करने के लिए आबकारी विभाग को अपनी कार्यशैली में तुरंत बदलाव लाना होगा। जिला आबकारी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से मैदानी स्तर पर उतरकर कड़े कदम उठाने होंगे, ताकि अवैध कारोबार पर लगाम लग सके और जनता को राहत मिल सके। यदि विभाग की सुस्ती बनी रहती है, तो यह माना जाएगा कि यह निष्क्रियता अनजाने में नहीं, बल्कि किसी बड़े ‘इरादे’ के तहत है, जिसकी जांच उच्च स्तर पर होनी चाहिए।










