एक तरफ “मिनी ब्राजील”,दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की “सुर्खियां”

शहडोल। जिले में ‘मिनी ब्राजील’ की पहचान ने देश और दुनिया का ध्यान खींचा है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल के विचारपुर गांव के फुटबॉल खिलाड़ियों की सराहना करके इसे एक नई पहचान दी है, वहीं दूसरी ओर जिले के कुछ विभाग भ्रष्टाचार की काली छाया से इस सकारात्मक छवि को धूमिल कर रहे हैं।

एक ओर, शहडोल में खेल और प्रतिभा का उत्सव मनाया जा रहा है, तो दूसरी ओर जिले के भीतर प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का खेल बेखौफ जारी है। यह स्थिति एक गहरे विरोधाभास को दर्शाती है।

विकास की कहानी, भ्रष्टाचार की ज़ुबानी

शहडोल के विचारपुर गांव का ‘मिनी ब्राजील’ बनना सिर्फ एक नाम नहीं है, यह एक कहानी है मेहनत, लगन और संसाधनों की कमी के बावजूद सफलता की। यहां के युवा अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ रहे हैं और देश के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में इसी जुनून की तारीफ की थी। इस बात से पूरे जिले में गर्व का माहौल था।

लेकिन, इस गर्व के माहौल के बीच ही, भ्रष्टाचार की खबरें भी सुर्खियां बन रही हैं। ये खबरें इस बात का संकेत देती हैं कि जहां एक तरफ युवा पीढ़ी अपने सपनों को साकार करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर सिस्टम के कुछ हिस्से लोगों के हक का पैसा खा रहे हैं।

क्या ये सिर्फ कुछ मामले हैं या पूरी व्यवस्था का हिस्सा?

भ्रष्टाचार के जो मामले सामने आ रहे हैं, वे सिर्फ कुछ छुटपुट घटनाएं नहीं लगते। ये अलग-अलग विभागों में फैले हुए हैं। इन घोटालों में बड़ी रकम की हेराफेरी, गलत तरीकों से टेंडर देना, और योजनाओं के पैसे का दुरुपयोग शामिल है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन मामलों पर न तो प्रदेश सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई की जा रही है। ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है। जब योजनाओं का पैसा सही जगह नहीं पहुंचता, तो गरीबों को उनका हक नहीं मिल पाता। इससे लोगों में प्रशासन के प्रति विश्वास कम होता है।

शहडोल की दोहरी तस्वीर

शहडोल आज एक दोहरी तस्वीर पेश कर रहा है। एक तरफ स्वच्छता, खेल और सकारात्मकता का प्रतीक ‘मिनी ब्राजील’ है, जो देश के लिए एक प्रेरणा है। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार और प्रशासनिक ढिलाई का गहरा अंधेरा है, जो जिले की छवि को धूमिल कर रहा है। यह एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या यह शहर सिर्फ अपनी बाहरी छवि पर ध्यान दे रहा है या आंतरिक कमियों को भी दूर करने की कोशिश करेगा?

शहडोल को अगर सही मायनों में ‘मिनी ब्राजील’ बनना है तो सिर्फ फुटबॉल की तारीफों से काम नहीं चलेगा। उसे अपने अंदरूनी भ्रष्टाचार को भी खत्म करना होगा। यह तभी संभव होगा जब सरकार और प्रशासन दोनों ही इस समस्या को गंभीरता से लेंगे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।

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