‘बंगाली डॉक्टर’ का जाल,स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से फल-फूल रहा अवैध ‘अस्पताल’

शहडोल। संभागीय मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोहागपुर थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत छतवई में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर एक बड़ा अवैधधंधा चल रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छतवई गांव में लगभग 15 साल से अधिक ‘बंगाली डॉक्टर’ कथित रूप से अवैध रूप से अपना ‘अस्पताल’ संचालित कर रहा हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा कारोबार जिला स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत और गंभीर अनदेखी के कारण बेरोकटोक चल रहा है।

किराए के लाइसेंस पर ‘अस्पताल’ चलाने का दावा

ये तथाकथित डॉक्टर अपने अवैध क्लिनिक को वैधता देने के लिए अजीबोगरीब दावा करता हैं। बताया जाता है कि वे ‘मासिक किराए के मेडिकल संचालित करने के लाइसेंस’ का सहारा लेकर गरीबों और भोले-भाले ग्रामीणों को लूट रहा हैं। इस फर्जीवाड़े की आड़ में ये कथित चिकित्सक न सिर्फ लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा हैं, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर बैगा जनजाति सहित अन्य गरीब तबके के लोगों का जमकर शोषण कर रहा है।

गरीबों को लूटकर भर रहा तिजोरी

ग्रामीणों का आरोप है कि ये ‘बंगाली डॉक्टर’ सीधे-सादे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनकी लूट-खसूट कर रहा है। मामूली बीमारियों के लिए भी महंगे और अनावश्यक इलाज थोपकर ये अपनी तिजोरी भरने का काम कर रहा है। जिस तरह से ये गैर-पंजीकृत चिकित्सक गांव में अपनी दुकानें चला रहा है, उससे साफ है कि उन्हें स्थानीय प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग का कोई खौफ नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे मामले में जिला स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी सबसे बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या विभाग को यह जानकारी नहीं है कि उनके अधिकार क्षेत्र मे अवैध मेडिकल प्रैक्टिस चल रही है? या फिर यह सब जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है? जिले में इतनी बड़ी संख्या में अवैध क्लिनिकों का संचालन यह संकेत देता है कि कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों या अधिकारियों की ‘मिलीभगत’ है, जिसके कारण इन फर्जी डॉक्टरों को संरक्षण मिल रहा है।

छतवई गांव की यह घटना शहडोल जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध क्लिनिकों के बढ़ते जाल की ओर इशारा करती है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए और इन अवैध प्रैक्टिस करने वाले ‘डॉक्टरों’ के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और धन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

प्रशासनिक कार्रवाई

 जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस मामले का संज्ञान लेकर तुरंत छापेमारी दल गठित करना चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग की जांच

 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को यह पता लगाना चाहिए कि ये कथित डॉक्टर कौन हैं, उनके पास कौन सी डिग्री है और उन्हें कौन संरक्षण दे रहा है।

 ग्रामीणों को ऐसे फर्जी डॉक्टरों से बचने के लिए जागरूक करना चाहिए।

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