शहडोल। त्योहारों का मौसम शुरू होते ही, विशेषकर रक्षाबंधन, दीपावली और होली जैसे बड़े पर्वों के दौरान, खाद्य विभाग अचानक सक्रिय हो जाता है। हमें अक्सर खबरें मिलती हैं कि विभाग ने कुछ दुकानों पर छापा मारा, मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए और कुछ जगहों पर कार्रवाई भी की। लेकिन यह सक्रियता सिर्फ दिखावा लगती है, क्योंकि जैसे ही त्यौहार खत्म होते हैं, विभाग फिर से अपनी “नींद” में चला जाता है।
साल भर क्या करते हैं जिम्मेदार?
पूरे साल भर मिलावटी और बासी खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बेचे जाते हैं, लेकिन विभाग इस पर कोई ध्यान नहीं देता। क्या ये मिठाइयां और खाद्य पदार्थ सिर्फ त्यौहारों में ही मिलावटी होते हैं? जाहिर है नहीं। मिलावट का धंधा साल भर चलता है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी आँखें बंद रखते हैं।
जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
इस तरह की लापरवाही सीधे-सीधे जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। शहडोल जिले में हुई दुखद घटनाएँ इसी का परिणाम हैं। जब तक कोई बड़ी घटना नहीं होती, तब तक विभाग कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझता। यह सिर्फ शहडोल की बात नहीं है, बल्कि प्रदेश के कई हिस्सों में यही स्थिति है।
दिखावे की कार्रवाई
विभाग की कार्रवाई अक्सर दिखावे तक सीमित रहती है। कुछ छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई करके अधिकारी अपनी पीठ थपथपा लेते हैं, जबकि बड़े-बड़े मिलावटखोरों पर कोई आंच नहीं आती। कई बार तो यह भी आरोप लगते हैं कि विभाग और मिलावटखोरों के बीच मिलीभगत होती है।
शहडोल जिले में हुई घटना और खाद्य विभाग की जिम्मेदारी
शहडोल जिले में हुई घटना इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि खाद्य विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाने में कितना विफल रहा है। अगर विभाग ने नियमित रूप से मिठाइयों की दुकानों पर जांच की होती, तो शायद बच्चों की जान बच सकती थी। यह सिर्फ दो बच्चों की मौत का मामला नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की विफलता का मामला है।
जनता की मांग
जनता की मांग है कि खाद्य विभाग सिर्फ त्यौहारों में नहीं, बल्कि पूरे साल सक्रिय रहे। मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो और ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि लोगों को शुद्ध और सुरक्षित खाद्य पदार्थ मिल सकें। यह समय है कि विभाग अपनी “नींद” से जागे और अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझे। वरना, शहडोल जिले में हुई दुखद घटनाएँ बार-बार होती रहेंगी।
Author: सुभाष गौतम
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