शहडोल के संभागीय मुख्यालय में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी भाई, बहनों ने हर्षौल्लास के साथ पारंपरिक आदिवासी नृत्य और गीत प्रस्तुत किए आदिवासी कलाकार अपनी अनूठी कला और शिल्प का प्रदर्शन दिखाए जो उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यह उत्सव समुदाय के लोगों को एकजुट होने और अपनी पहचान का जश्न मनाने का था जिसमें सभी ने अपनी अपनी भूमिका को बखूबी से निभाया।
शहडोल। मध्य प्रदेश, भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी समुदायों का है। इसलिए, 9 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व आदिवासी दिवस यहाँ विशेष महत्व रखता है। यह दिन न केवल आदिवासियों के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, बल्कि उनके अधिकारों और कल्याण से जुड़ी चर्चाओं का भी एक प्रमुख मंच बन गया है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्सव
आदिवासी दिवस पर, मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों जैसे झाबुआ, अलीराजपुर, मंडला, डिंडोरी और छिंदवाड़ा में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में पारंपरिक आदिवासी नृत्य, जैसे कि भील समुदाय का भगोरिया, और गोंड, बैगा, कोरकू आदि समुदायों के लोक नृत्य और गीत प्रस्तुत किए जाते हैं। आदिवासी कलाकार अपनी अनूठी कला और शिल्प का प्रदर्शन करते हैं, जो उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यह उत्सव समुदाय के लोगों को एकजुट होने और अपनी पहचान का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
सरकारी पहल और योजनाएं
मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाती है। आदिवासी दिवस के अवसर पर, इन योजनाओं का प्रचार किया जाता है और नई पहलों की घोषणाएं भी की जाती हैं। कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं:
पेसा अधिनियम
मध्य प्रदेश में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम, 2022 लागू है। इस अधिनियम के तहत, आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि वे अपने प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल, जमीन) का प्रबंधन खुद कर सकें। यह आदिवासियों को स्व-शासन की भावना को बढ़ावा देता है।
स्वरोजगार योजनाएं
भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना और टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना जैसी पहलें आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करती हैं। इन योजनाओं में कम ब्याज दर पर ऋण और अन्य वित्तीय सहायता दी जाती है।
शिक्षा और कौशल विकास
आदिवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं और आवासीय विद्यालय चलाए जाते हैं। सरकार कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासी युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने का प्रयास करती है।
जनजातीय गौरव दिवस
सरकार ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है, जिससे आदिवासी समुदाय के सम्मान और पहचान को और मजबूत किया जा सके।
आदिवासी नेताओं और संगठनों की मांगें
आदिवासी दिवस पर, आदिवासी नेता और संगठन विभिन्न मुद्दों को उठाते हैं। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
जमीन का संरक्षण
आदिवासी क्षेत्रों में जमीन के अवैध हस्तांतरण को रोकना और उनके पारंपरिक भूमि अधिकारों को मजबूत करना।
वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन
यह सुनिश्चित करना कि वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को उनके वन भूमि पर अधिकार मिले।
सार्वजनिक अवकाश
कई आदिवासी संगठन लंबे समय से आदिवासी दिवस पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
संविधानिक अधिकारों का पालन
संविधान में आदिवासियों को दिए गए विशेष अधिकारों का सख्ती से पालन करना और उन्हें सामाजिक भेदभाव से बचाना।
मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी
मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, और लगभग 80 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए, सभी राजनीतिक दल आदिवासी कल्याण और अधिकारों के मुद्दे को गंभीरता से लेते हैं और आदिवासी दिवस पर उनके प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।
इस प्रकार, मध्य प्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस एक ऐसा दिन है जो आदिवासी समुदाय के सांस्कृतिक उत्सव, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उनके अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों का एक मिला-जुला प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है।
Author: सुभाष गौतम
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