आस्था के नाम पर ठगी? अमरकंटक में पार्किंग और दान को लेकर नई बहस

 

अनूपपुर। अमरकंटक, मध्य प्रदेश के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक, जहाँ नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है, लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि, हाल की कुछ घटनाओं और आरोपों ने इस पावन भूमि पर आने वाले भक्तों के अनुभव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, अमरकंटक में पार्किंग व्यवस्था, मंदिरों में दान के तरीके और प्रसाद वितरण को लेकर कुछ गंभीर शिकायतें सामने आई हैं।

 अव्यवस्थित पार्किंग और अवैध वसूली:

   खबरों के मुताबिक, अमरकंटक में जगह-जगह अनाधिकृत पार्किंग स्थल बन गए हैं, जहाँ वाहन चालकों से मनमानी फीस वसूली जाती है।  इन पार्किंग स्थलों पर कोई निश्चित दर सूची नहीं होती, और अक्सर पर्यटकों को अधिक पैसे देने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उन्हें ठगा हुआ महसूस होता है।

  यह अव्यवस्था न केवल यातायात जाम का कारण बनती है, बल्कि पर्यटकों के लिए एक नकारात्मक अनुभव भी पैदा करती है।

  पंडितों द्वारा दान के लिए दबाव और डिजिटल भुगतान पर जोर:

    सर्वाधिक चिंताजनक आरोपों में से एक मुख्य मंदिर के पुजारियों द्वारा दान के लिए भक्तों पर दबाव बनाना है।  कई भक्तों ने शिकायत की है कि उन्हें नकद या सीधे पुजारियों के निजी ‘फोन पे’ (या अन्य UPI ऐप्स) खातों में दान करने के लिए कहा जाता है।  यह प्रथा दान की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है, क्योंकि मंदिर ट्रस्ट या संस्था के आधिकारिक दान बक्से या खातों के बजाय व्यक्तिगत खातों में पैसा जाने से उसके उपयोग पर कोई नियंत्रण नहीं रहता।

 प्रसाद न लौटाने और बहस करने पर दुर्व्यवहार:

   सबसे गंभीर आरोप यह है कि यदि कोई भक्त पुजारी की मांग के अनुसार दान नहीं करता है, या डिजिटल माध्यम से सीधे उनके व्यक्तिगत खाते में दान करने से इनकार करता है, तो उन्हें प्रसाद लौटाने से मना कर दिया जाता है। कुछ मामलों में, यदि भक्त इस बात पर बहस करते हैं या आपत्ति जताते हैं, तो उनके साथ दुर्व्यवहार या अभद्र व्यवहार भी किया जाता है।

 यह भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है और तीर्थयात्रा के मूल उद्देश्य, जो कि श्रद्धा और शांति प्राप्त करना है, के विपरीत है।

ये आरोप यदि सही हैं, तो अमरकंटक की पवित्र छवि को गंभीर रूप से धूमिल करते हैं।

 आस्था का व्यवसायीकरण: धार्मिक स्थलों पर दान की व्यवस्था का उद्देश्य मंदिरों के रखरखाव और सामाजिक कार्यों के लिए धन जुटाना होता है। लेकिन, यदि पुजारियों द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए दान पर दबाव डाला जाता है और डिजिटल भुगतान के निजी माध्यमों का उपयोग किया जाता है, तो यह आस्था के व्यवसायीकरण का संकेत है।

 पारदर्शिता की कमी: 

व्यक्तिगत खातों में दान प्राप्त करने से धन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी आती है। इससे मंदिर के राजस्व में कमी आ सकती है और यह वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा दे सकता है।

 भक्तों का अनुभव: 

इस तरह के दुर्व्यवहार से भक्तों का अनुभव खराब होता है, और वे ठगा हुआ महसूस करते हैं। यह उन्हें भविष्य में अमरकंटक आने से भी रोक सकता है, जिससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

 प्रशासन की भूमिका:

स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाएं और यह सुनिश्चित करें कि भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा या धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े। पार्किंग व्यवस्था को भी सुचारू और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है।

 जांच और कार्रवाई:

संबंधित अधिकारियों को इन आरोपों की गहन जांच करनी चाहिए और यदि वे सही पाए जाते हैं, तो दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

  पारदर्शी दान प्रणाली:

 मंदिर प्रबंधन को दान के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिसमें केवल आधिकारिक दान बक्से या बैंक खाते शामिल हों। डिजिटल दान के लिए भी मंदिर ट्रस्ट के आधिकारिक QR कोड या भुगतान गेटवे का उपयोग किया जाना चाहिए।

 प्रसाद वितरण में समानता:

यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रसाद सभी भक्तों को समान रूप से वितरित किया जाए, चाहे उन्होंने दान दिया हो या नहीं।

 जागरूकता अभियान:

भक्तों को इन कथित धोखाधड़ी वाली प्रथाओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें बताया जाना चाहिए कि वे अपनी शिकायतें कहाँ दर्ज करा सकते हैं।

 पार्किंग का विनियमन:

स्थानीय प्रशासन को पार्किंग स्थलों को विनियमित करना चाहिए, दरें निर्धारित करनी चाहिए और अवैध वसूली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

अमरकंटक सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। इसकी पवित्रता और भक्तों की आस्था को बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। इन आरोपों पर तत्काल ध्यान देना और आवश्यक सुधार करना अनिवार्य है ताकि अमरकंटक अपनी वास्तविक पहचान – एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक गंतव्य – को बरकरार रख सके।

सुभाष गौतम
Author: सुभाष गौतम

जनहित के लिए बुलंद आवाज

Leave a Comment

और पढ़ें

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें