शहडोल। सीवर लाइन बिछाने का काम एक बार फिर दो मासूम जिंदगियों के लिए काल बन गया। शहर के कोनी वार्ड क्रमांक 01 इलाके में सीवर लाइन के लिए खोदे गए गड्ढे में मिट्टी धंसने से दो मजदूर दब गए, जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना एक बार फिर सीवर लाइन परियोजना में बरती जा रही घोर लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर करती है, जिसके लिए सीधे तौर पर ठेका कंपनी, स्थानीय प्रशासन और संबंधित शासकीय विभाग जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक मुकेश बैगा, महिपाल बैगा पहले दिन ही , सीवर लाइन बिछाने के काम में लगे हुए थे। वे गड्ढे के 12 से 15 फिट गहरे गड्ढे में काम कर रहे थे, तभी अचानक ऊपर से भारी मात्रा में मिट्टी धंस गई। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते या बाहर निकल पाते, वे मिट्टी के मलबे में पूरी तरह से दब गए।
हादसे की सूचना मिलते ही मौके पर स्थानीय लोग और बचाव दल पहुंचे। घंटों की मशक्कत के बाद दोनों मजदूरों के शव बाहर निकाले जा सके, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इस दुखद हादसे ने सीवर लाइन परियोजना में व्याप्त अनियमितताओं और लापरवाही की पोल खोल दी है।
सुरक्षा उपकरणों का अभाव:
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि मजदूरों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण जैसे हेलमेट, सुरक्षा बेल्ट, मजबूत जूते या अन्य आवश्यक सुरक्षा गियर उपलब्ध नहीं कराए गए थे। यह गुजरात की ठेका कंपनी स्नेहल कंस्ट्रक्शन की सीधे तौर पर आपराधिक लापरवाही है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी:
सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदे जाने वाले गहरे गड्ढों में मिट्टी धंसने से रोकने के लिए ‘शोरिंग’ (किनारों को सहारा देना) या उचित ढलान देना अनिवार्य होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि ठेका कंपनी द्वारा इन बुनियादी सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया गया।
अप्रशिक्षित मजदूर और पर्यवेक्षक:
ठेका कंपनी ने काम के लिए अप्रशिक्षित मजदूरों का इस्तेमाल किया और कार्यस्थल पर प्रशिक्षित पर्यवेक्षकों की कमी थी, जो सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
आपातकालीन व्यवस्था का अभाव:
हादसे के बाद तत्काल बचाव और चिकित्सा सहायता की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई।
शासन-प्रशासन की उदासीनता और जवाबदेही से बचना, नियमित निगरानी का अभाव:
यह परियोजना नगर पालिका के अंतर्गत आती है। यह संबंधित विभाग की जिम्मेदारी थी कि वह कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का नियमित रूप से निरीक्षण करे और ठेका कंपनी द्वारा नियमों का पालन सुनिश्चित कराए।
लापरवाही पर आँखें मूंदना:
स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभाग ठेका कंपनी की अनियमितताओं पर आँखें मूंदे हुए थे, या फिर उनके पास प्रभावी निगरानी प्रणाली का अभाव था?
जवाबदेही तय करने में विफल:
जिले कई विभागों में पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से शायद ही कभी ठोस कार्रवाई हुई हो, जिससे ठेका कंपनी के हौसले बुलंद हैं।
सार्वजनिक सुरक्षा से खिलवाड़:
शहर में चल रहे सीवर लाइन के कार्य अक्सर खुले गड्ढे, बेतरतीब पड़े पाइप और सुरक्षा घेरे की कमी के कारण आम जनता के लिए भी खतरा बने हुए हैं। प्रशासन इन खतरों को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
इस हृदयविदारक घटना के बाद, यह आवश्यक है कि पूरे घटना की उच्च स्तरीय जांच हो
घटना की तत्काल उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए, जिसमें ठेका कंपनी के अधिकारियों से लेकर संबंधित सरकारी अधिकारियों तक की जवाबदेही तय की जाए, दोषी पाए जाने वाले ठेका कंपनी के मालिक/अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या सहित सख्त कानूनी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
पर्याप्त मुआवजा:
मृतक मजदूरों के परिवारों को तत्काल और पर्याप्त आर्थिक सहायता (मुआवजा) प्रदान किया जाए, ताकि उनके आश्रितों का जीवनयापन सुनिश्चित हो सके।
सुरक्षा ऑडिट और मानक:
शहडोल में चल रहे सभी निर्माण कार्यों, विशेषकर सीवर लाइन जैसी परियोजनाओं का तत्काल सुरक्षा ऑडिट कराया जाए और भविष्य के लिए सख्त सुरक्षा मानक तय कर उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
जन जागरूकता:
मजदूरों और ठेका कंपनी के कर्मचारियों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र और ठेका कंपनियों के गठजोड़ से उत्पन्न लापरवाही का परिणाम है। शहडोल प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि विकास की कीमत पर बेकसूर जिंदगियों का बलिदान न हो।
Author: सुभाष गौतम
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