शहडोल में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ, सरकारी सलाह और जमीनी हकीकत में अंतर।

 

शहडोल। जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जारी की गई सलाह एक तरफ वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए नागरिकों को जागरूक करती है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की परेशानियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि स्वास्थ्य विभाग की सलाह और उसके अपने कार्यालय के आसपास की जमीनी हकीकत में एक बड़ा विरोधाभास है। विभाग द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में जहाँ मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड, पीलिया और अन्य जलजनित बीमारियों से बचने के उपाय बताए गए हैं, वहीं CMHO कार्यालय और जिला चिकित्सालय के ठीक पीछे का क्षेत्र खुद गंदगी और मच्छरों का केंद्र बना हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग की सलाह, क्या करें और क्या न करें?

CMHO डॉ. राजेश मिश्रा ने नागरिकों को मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग से बचने की सलाह दी है। उन्होंने साफ पानी पीने, भोजन को ढककर रखने, और कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ धोने पर जोर दिया है। विशेष रूप से, उन्होंने दूषित पानी से होने वाली बीमारियों जैसे टाइफाइड, पीलिया, डायरिया, पेचिस और हैजा के प्रति सतर्क रहने को कहा है। बच्चों में दूषित भोजन और पानी से होने वाली उल्टी-दस्त की गंभीर स्थिति पर भी ध्यान दिलाया गया है।

मलेरिया और डेंगू से बचाव के लिए, विज्ञप्ति में घर के आसपास पानी जमा न होने देने, रुके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ तेल डालने, और कूलर या फूलदान को नियमित रूप से साफ करने के उपाय बताए गए हैं। इसके अलावा, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने और कीटनाशक का छिड़काव करवाने की भी सलाह दी गई है।

मानसूनी बीमारियों जैसे आई-फ्लू से बचाव के लिए, बार-बार हाथ-मुंह धोने, अलग-अलग तौलियों का इस्तेमाल करने और धूप के चश्मे पहनने के सुझाव दिए गए हैं।

सलाह और वास्तविकता में बड़ा अंतर

एक तरफ स्वास्थ्य विभाग लोगों से अपने घरों के आसपास सफाई रखने और पानी जमा न होने देने की अपील कर रहा है, तो दूसरी तरफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय के पास ही गंदगी का अंबार है। जिला चिकित्सालय के पीछे, जहाँ जिला मलेरिया कार्यालय, दवाइयों का स्टॉक रूम और नर्स हॉस्टल स्थित हैं, वहाँ मच्छरों के पनपने की आदर्श स्थिति मौजूद है।

स्थानीय निवासियों की शिकायतें इस बात को पुख्ता करती हैं कि यह क्षेत्र स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का शिकार है। दवाइयों के खाली पैकेट और अन्य कचरे यहाँ खुले में पड़े हुए हैं, जिससे न केवल गंदगी फैल रही है, बल्कि ये मच्छरों के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड भी बन रहे हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग के ही जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

जब विभाग खुद ही अपने परिसर की सफाई और स्वच्छता सुनिश्चित करने में विफल रहता है, तो नागरिकों से की गई उसकी अपील कितनी प्रभावी हो सकती है, यह एक बड़ा सवाल है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि केवल सलाह जारी करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सरकार को अपने दिशानिर्देशों को खुद भी लागू करना चाहिए। जब तक विभाग खुद एक उदाहरण स्थापित नहीं करेगा, तब तक जनता में उसकी सलाह का पालन करने के प्रति विश्वास और प्रेरणा की कमी रहेगी।

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