शहडोल। जिले में कबाड़ माफिया गुड्डू का साम्राज्य केवल चोरी के सामान की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा बन गया है। इस नेटवर्क की जड़ें कई विभागों और राजनीतिक गलियारों तक फैली हुई हैं, जिसकी वजह से इस पर हाथ डालना बेहद मुश्किल हो गया है।
पुलिस और प्रशासनिक संरक्षण
सबसे बड़ा और सबसे स्पष्ट पहलू है पुलिस और प्रशासन का संरक्षण। सूत्रों के मुताबिक, यह माफिया न केवल पुलिस को मासिक ‘हफ्ता’ देता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर अधिकारियों के तबादले तक में अपनी भूमिका निभाता है। यदि कोई ईमानदार अधिकारी कार्रवाई करने की कोशिश करता है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाता है। इस तरह के संरक्षण से माफिया बेखौफ होकर अपना काम करता है, क्योंकि उसे पता है कि कानून उस पर लागू नहीं होगा।
सरकारी परियोजनाओं से चोरी
यह माफिया केवल रेलवे और एसईसीएल जैसे बड़े संस्थानों से ही नहीं, बल्कि सरकारी परियोजनाओं से भी सामान चोरी करवाता है। सड़क निर्माण, पुलिया निर्माण, या किसी भी तरह की सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना में उपयोग होने वाले लोहे के सरिए, पाइप, और अन्य कीमती धातुएं रातों-रात गायब हो जाती हैं। ये चोरियां अक्सर स्थानीय चोरों के माध्यम से करवाई जाती हैं, जिन्हें माफिया छोटे-मोटे पैसे देकर उनका इस्तेमाल करता है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह कबाड़ माफिया सिर्फ आर्थिक रूप से ही मजबूत नहीं है, बल्कि उसका सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव भी बहुत गहरा है। वह सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर दान करता है, जिससे समाज में उसकी छवि एक “सज्जन” व्यक्ति के रूप में बनी रहे। चुनाव के समय वह राजनीतिक दलों को चंदा भी देता होगा, जिससे उसके रिश्ते सत्ता में बैठे लोगों के साथ और भी मजबूत हो जाते हैं। यही वजह है कि नेताओं और अधिकारियों के बीच उसकी पहुंच बहुत गहरी है, और कोई भी उस पर उंगली उठाने से पहले सौ बार सोचता है।
कानूनी कमजोरियों का फायदा
यह माफिया कानून की कमजोरियों का भी फायदा उठाता है। चोरी का सामान खरीदने पर भी वह अक्सर “अनजाने” में खरीदने का बहाना बनाता है या फिर यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि वह माल चोरी का है। इस तरह के मामलों में सबूतों की कमी अक्सर पुलिस को मजबूर कर देती है कि वह सख्त कार्रवाई न करे।
यह पूरा मामला सिर्फ एक व्यक्ति के अवैध कारोबार का नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार, राजनीतिक प्रभाव, और कानून के कमजोरियों का एक जटिल जाल है। जब तक इस जाल को तोड़ने के लिए शीर्ष स्तर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाएगा, तब तक शहडोल में यह अवैध धंधा फलता-फूलता रहेगा।
Author: सुभाष गौतम
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