शहडोल में ‘पुष्पा’ की तर्ज़ पर कबाड़ का अवैध कारोबार, पुलिस-प्रशासन मौन

शहडोल। जिस तरह फ़िल्म ‘पुष्पा’ में चंदन की तस्करी होती है, उसी तरह शहडोल में कबाड़ माफिया गुड्डू का एक बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है। यह सिंडिकेट लोहे की रॉड, रेल पटरियों के हिस्से, सरकारी संपत्तियों और निजी मकानों से कीमती धातुओं की चोरी कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस अवैध कार्य की जानकारी होने के बावजूद पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस पर मौन साधे हुए हैं। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर पुलिस-प्रशासन इस कबाड़ माफिया के सामने बौना क्यों साबित हो रहा है।

चोरी का सामान, खुलेआम बिक रहा?

शहर के गली-कूचों से लेकर दूरदराज के इलाकों तक, हर दिन चोरी की वारदातें हो रही हैं। चोर गिरोह लोहे के पाइप, बिजली के तार, यहाँ तक कि पुलों और सरकारी भवनों से भी धातु के हिस्से चुरा रहे हैं। यह चोरी का सामान सीधे कबाड़ माफिया के बड़े गोदामों तक पहुँचता है, जहाँ इन्हें मनमाने दामों पर खरीदा जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ये कबाड़ माफिया न सिर्फ चोरी का सामान खरीदते हैं, बल्कि चोरी करने वाले छोटे-छोटे गिरोहों को भी संरक्षण देते हैं। इन गिरोहों में अक्सर नाबालिग और कम उम्र के लड़के शामिल होते हैं, जिनसे आसानी से गलत काम करवाया जाता है। यह पूरा कारोबार संगठित तरीके से चल रहा है, जिसकी जड़ें गहरी हैं।

पुलिस-प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

यह पूरा कारोबार पुलिस की नाक के नीचे चल रहा है। कई बार पुलिस को सूचनाएँ दी गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कबाड़ माफिया गुड्डू और कुछ पुलिस अधिकारियों के बीच सांठगांठ है। इसी वजह से पुलिस चाहकर भी इन पर हाथ नहीं डाल पाती।

सूत्रों के मुताबिक, इस कारोबार की कमाई का एक हिस्सा कुछ प्रभावशाली लोगों और अधिकारियों तक भी पहुँचता है। यही वजह है कि जब भी कोई कार्रवाई की बात होती है, तो उसे बीच में ही रोक दिया जाता है। इस स्थिति ने आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास को कम किया है। लोग अब चोरी की रिपोर्ट भी कम ही करवाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कोई फायदा नहीं होगा।

जनप्रतिनिधियों का भी मौन

पुलिस-प्रशासन के अलावा, स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। जनता की समस्याओं को उठाने की बजाय, वे इस अवैध कारोबार पर आँखें बंद किए हुए हैं। उनकी यह चुप्पी यह बताती है कि या तो उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, या फिर वे जानबूझकर इसे अनदेखा कर रहे हैं।

यह स्थिति शहडोल के लिए एक गंभीर खतरा है। अगर इस संगठित अपराध को जल्द ही नहीं रोका गया, तो यह और भी विकराल रूप ले सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए एक कठोर और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है, ताकि इस पूरे नेक्सस का पर्दाफाश हो सके और आम जनता को राहत मिल सके।

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