कृषि योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुँच रहा सभी किसानों तक?

शहडोल। कृषि विभाग की तमाम घोषणाओं और योजनाओं के बावजूद, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। किसानों के बीच यह आम शिकायत है कि कृषि विस्तार अधिकारियों का रवैया उदासीन है और सरकारी सहायता सिर्फ़ कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित है।

क्या सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित हैं योजनाएं?

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का कहना है कि कृषि विस्तार अधिकारी उनसे सीधे मिलने के बजाय सिर्फ़ कागज़ी कार्रवाई पर ध्यान देते हैं। अधिकारी कभी-कभार ही खेत का दौरा करते हैं और जब करते भी हैं तो उनका ध्यान बड़े और प्रभावशाली किसानों पर ही होता है। छोटे और सीमांत किसानों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे उन्हें योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती।

सैंपल का असमान वितरण

 किसानों का आरोप है कि उन्नत बीजों, खाद और अन्य कृषि उपकरणों के सैंपल का वितरण पारदर्शिता के साथ नहीं किया जाता। ये सैंपल अक्सर अधिकारी के जान-पहचान वालों, रिश्तेदारों, या राजनीतिक पहुंच वाले किसानों को ही दिए जाते हैं। गरीब किसानों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि स्टॉक खत्म हो गया है।

जागरूकता की कमी

सरकार की कई लाभकारी योजनाएं हैं, लेकिन अधिकांश किसानों को इनकी जानकारी ही नहीं होती। कृषि अधिकारी गांव में जागरूकता अभियान चलाने की बजाय सिर्फ़ कागज़ों में बैठकें दिखा देते हैं। किसान कहते हैं कि अधिकारी उनसे सीधे बात करने में रुचि नहीं लेते और यही वजह है कि वे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप

 कुछ मामलों में किसानों ने यह भी आरोप लगाया है कि योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उनसे पैसे की मांग की जाती है। इस वजह से कई किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से बचते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही करने को मजबूर होते हैं।

कृषि विभाग को इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। जब तक अधिकारी पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से काम नहीं करेंगे, तब तक भारत के कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलना मुश्किल होगा।

ग्राम पंचायत छतवई और ग्राम विकास अधिकारी..

जिले के सोहागपुर जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत छतवई में पदस्थ ग्राम विकास अधिकारी के रूप में पदस्थ महिला अधिकारी द्वारा इन दिनों सभी किसानों से उपेक्षित व्यवहार किया जा रहा जो सिर्फ अपने निजी ढाई एकड़ की जमीन और अपने पड़ोसियों सहित राजनीतिक प्रभाव रखने वालों पर ही मेहरबान है,जिसके कारण उक्त अधिकारी के विरुद्ध अन्य किसान अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं और जल्द ही ये नाराजगी जिला, संभाग के जिम्मेदारों के सामने होकर किसान प्रगट भी करेंगे अगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो।

इनका कहना

जब इस संबंध में संग्राम सिंह मरावी, जे एस पेंड्राम से बात करनी चाही गई तो संग्राम सिंह मरावी साहब ने आवाज न आने की बात कही वही पेंड्राम साहब ने फोन उठाना उचित नहीं समझा।

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