शहडोल। जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों पर किसानों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। किसानों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर, केवल कागजी कार्रवाई में व्यस्त हैं। किसानों के हितों की रक्षा करने और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के बजाय, वे मनमानी कर रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप
क्षेत्र के कई किसानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिले में तैनात महिला कृषि विस्तार अधिकारियों की कार्यप्रणाली बेहद निराशाजनक है। किसानों का दावा है कि ये अधिकारी क्षेत्र में योजनाओं को सही ढंग से लागू करने के बजाय, किसानों को परेशान कर रही हैं। यह भी आरोप है कि वे किसानों के साथ ठीक से बात नहीं करतीं और उनसे मिलने से भी कतराती हैं।
यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब किसानों को किसी समस्या के समाधान के लिए जिला या संभाग स्तर के अधिकारियों से संपर्क करना पड़ता है। किसानों का कहना है कि ये अधिकारी अक्सर फोन नहीं उठाते हैं, जिससे उनकी शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं। ऐसा लगता है जैसे इन उच्चाधिकारियों ने जानबूझकर आंखें मूंद रखी हैं।
छतवई में पदस्थ महिला अधिकारी पर आरोप
छतवई क्षेत्र में पदस्थ एक महिला कृषि विस्तार अधिकारी की मनमानी चरम पर है। किसानों का आरोप है कि यह अधिकारी न तो समय पर किसानों से मिलती है और न ही उनकी समस्याओं को सुनती है। सरकार की ओर से किसानों के लिए लाई गई कई महत्वपूर्ण योजनाएं, जैसे कि बीज, खाद और कृषि उपकरण वितरण, सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही हैं। किसानों का आरोप है कि ये अधिकारी और विभाग मिलकर योजनाओं का लाभ खुद ही उठा रहे हैं, जबकि जरूरतमंद किसान उनसे वंचित हैं।
विभाग पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले ने कृषि विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जब किसानों की भलाई के लिए नियुक्त अधिकारी ही लापरवाही बरत रहे हों, तो सरकार की कृषि से संबंधित योजनाओं का सफल होना कैसे संभव है? यह स्थिति न केवल किसानों के लिए बल्कि कृषि प्रधान राज्य मध्य प्रदेश के लिए भी चिंताजनक है।
इस मामले में जिला प्रशासन और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत संज्ञान लेने और निष्पक्ष जांच करने की आवश्यकता है, ताकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके और किसानों को उनका हक मिल सके।











