शहडोल। सीवर लाइन हादसे ने न केवल दो मजदूरों की जान ली, बल्कि कई गहरे सवाल भी खड़े कर दिए हैं, जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है।
1. बारिश में काम जारी रखने का दबाव
हादसे के समय बारिश हो रही थी, फिर भी काम जारी रखा गया। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि ठेकेदार कंपनी पर काम जल्दी खत्म करने का भारी दबाव था, भले ही इससे मजदूरों की जान को खतरा हो। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या परियोजना की समय-सीमा इतनी कठोर थी कि सुरक्षा को ताक पर रख दिया गया? प्रशासन को यह जांच करनी चाहिए कि क्या काम को बारिश के दौरान बंद करने का कोई प्रोटोकॉल था और यदि हां, तो उसका पालन क्यों नहीं किया गया।
2. स्थानीय लोगों की मदद और प्रशासन की देरी
स्थानीय लोगों के आरोप कि प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें देरी से पहुंचीं, बेहद गंभीर हैं। चश्मदीदों के अनुसार, एक मजदूर करीब 40 मिनट तक गड्ढे में फंसा रहा और पानी मांग रहा था, लेकिन समय पर मदद नहीं मिल पाई। यह घटना शहरी विकास परियोजनाओं में आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की खामियों को उजागर करती है। त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को ऐसी स्थितियों के लिए बेहतर ढंग से प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाना चाहिए।
3. ठेका कंपनी के कर्मचारियों का भाग जाना और जवाबदेही का अभाव
हादसे के तुरंत बाद ठेका कंपनी ‘स्नेहल कंस्ट्रक्शन’ के कर्मचारियों का मौके से भाग जाना उनकी घोर लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कंपनी अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती थी। प्रशासन को ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें भविष्य में किसी भी सरकारी परियोजना से प्रतिबंधित करना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाओं में ठेकेदार कंपनियों की जवाबदेही तय हो और उन्हें दंडित किया जाए।
4. मुआवजा और मजदूरों के अधिकारों का हनन
ठेका कंपनी ने अभी मृतकों के परिजनों को छः लाख दिया है यह देखना बाकी है कि मृतक मजदूरों के परिवारों को और कितना मुआवजा दिया जाता है और यह कितना पर्याप्त होगा। अक्सर ऐसे हादसों में मजदूरों के परिवारों को जीवन यापन के लिए पर्याप्त सहायता नहीं मिल पाती है। इस घटना ने एक बार फिर निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले असंगठित मजदूरों की असुरक्षा और उनके अधिकारों के हनन के मुद्दे को सामने ला दिया है। सरकार को ऐसे मजदूरों के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा और बीमा योजनाएं सुनिश्चित करनी चाहिए।
5. भविष्य के लिए सबक और नीतिगत बदलाव की आवश्यकता
यह दुखद घटना भविष्य के लिए एक बड़ा सबक है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा मानक लागू किए जाने चाहिए, और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ठेकेदारों की जवाबदेही तय करने और लापरवाह कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है। इसके अलावा, ऐसी परियोजनाओं की निगरानी में स्थानीय प्रशासन की भूमिका को और मजबूत किया जाना चाहिए।
Author: सुभाष गौतम
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